नई दिल्ली- जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के हालिया बयान ने राष्ट्रीय राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। बयान सामने आते ही विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएँ देनी शुरू कर दीं। कांग्रेस की ओर से नेता उदित राज ने मदनी के रुख का समर्थन किया, जबकि भाजपा ने इसे आड़े हाथों लेते हुए तीखी आपत्ति जताई।
कांग्रेस नेता उदित राज ने आरोप लगाया कि देश में सिर्फ मुसलमान ही नहीं, बल्कि दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग भी नियुक्तियों में उपेक्षा का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ की बात तो करती है, लेकिन व्यवहार में सिर्फ चुनिंदा समुदायों को प्राथमिकता दी जा रही है। उदित राज के अनुसार, केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाली 48 विश्वविद्यालयों में एक भी मुस्लिम, दलित या ओबीसी समुदाय का वाइस-चांसलर नहीं है और देश के 159 प्रतिष्ठित संस्थानों में भी इन वर्गों का प्रतिनिधित्व नदारद है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विभिन्न संस्थानों में वही लोग नियुक्त किए जा रहे हैं जो संघ और भाजपा की विचारधारा से मेल खाते हैं। अल फलाह यूनिवर्सिटी के संदर्भ में उन्होंने कहा कि यदि किसी व्यक्ति पर आतंकवादी गतिविधियों का संदेह है, तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन पूरे विश्वविद्यालय को कठघरे में खड़ा करना उचित नहीं है। वहीं हाल ही में हुई ‘लैटरल एंट्री’ आईएएस नियुक्तियों को लेकर भी उदित राज ने कहा कि इनमें एक भी उम्मीदवार दलित, आदिवासी या पिछड़े वर्ग से नहीं था, जिससे स्पष्ट है कि सरकार इन समुदायों को मुख्यधारा से दूर रख रही है।

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